Tuesday, February 26, 2013

माँ का प्यार...

माँ एक तरफ प्यार तेरा,दूसरी तरफ भारत माँ की पुकार है ,
तुझे हर पल इंतजार मेरा,उसे हर पल दरकार है ।
माँ न तुझे छोड़ पाऊंगा, न उसे ही,इसलिए ये सोचा है,
कि बचपन था तेरे आँचल का, अब जवानी पर उसका अधिकार है।

माँ मुझ पर तेरे दूघ का कर्ज, तो उसका भी अनाज खाए है,
झूला हूँ तेरी गोद में अगर,तो उसकी छाती पर पैर बढाए है ।
तुम दानों का बराबर प्यार मिला, इसलिए ये सोचा है,
कि आँसू पर तेरी यादों का, और खून पर उसका अधिकार है ।

माँ कभी संवारा जो तूने, तो धूल से उसने नहलाया है,
आँचल में छिपाया तूने माँ, तो उसने भी पयार लुटाया है ।
तुम दोनों को ही न भुला पाऊँ, इसलिए ये सोचा है,
कि आँखे खोली तेरी गोद में, अब सुलाना उसका अधिकार है ।।

जय हिंद ।