बाँध शीश से कफन ,,,,,,, पुकारता तुम्हें वतन
उठो जवान देश के
उठो गुमान देश के
खींच लो कृपाण सुप्त म्यान में है जो पड़ी
आज आ गई है तेरे इम्तहान की घड़ी
बढ़ो प्रलय की आग बन आंधियों का राग बन
झनझना उठें जो आज वीरता की हथकड़ी
देश के तुम्हीं रतन
लेके जीत की लगन
उठो तूफान देश के
उठो जवान देश के
उठो गुमान देश के
गरज रहे हैं मेघ आज फिर से आसमान पर
बरस रहे हैं अग्निखण्ड धर्म के जहान पर
आज गोलियों दुनालियों की मार हो रही
देख हिन्दु-शूर वीर तेरे ही निशान पर
उठो ,ले क्रोध की तपन
उठो ,नवल विहान बन
आसमान देश के
उठो जवान देश के
उठो गुमान देश के
उठो जवान देश के
उठो गुमान देश के
खींच लो कृपाण सुप्त म्यान में है जो पड़ी
आज आ गई है तेरे इम्तहान की घड़ी
बढ़ो प्रलय की आग बन आंधियों का राग बन
झनझना उठें जो आज वीरता की हथकड़ी
देश के तुम्हीं रतन
लेके जीत की लगन
उठो तूफान देश के
उठो जवान देश के
उठो गुमान देश के
गरज रहे हैं मेघ आज फिर से आसमान पर
बरस रहे हैं अग्निखण्ड धर्म के जहान पर
आज गोलियों दुनालियों की मार हो रही
देख हिन्दु-शूर वीर तेरे ही निशान पर
उठो ,ले क्रोध की तपन
उठो ,नवल विहान बन
आसमान देश के
उठो जवान देश के
उठो गुमान देश के
1 comment:
सुन्दर कविता..
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